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    Life Story Of Rajiv Gandhi In Hindi | राजीव गांधी की सम्पूर्ण जीवनी

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    Life Story Of Rajiv Gandhi In Hindi: गांधी-नेहरु परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य, इंदिरा गांधी के बेटे, राजीव गांधी को देश के सर्वप्रथम युवा प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। हालांकि राजीव गांधी कभी भी राजनीतिक में नहीं आना चाहते थे परंतु वह अपनी इच्छा के विपरीत राजनीति में आए।  वह हमारे भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करवाना चाहते थे परंतु उस समय हालात कुछ ऐसे बन गए थे की भ्रष्टाचार की वजह से ही वह आलोचनाओं के भेंट चढ़ गए।

    राजीव गांधी बहुत शांत, सरल और धैर्यवान राजनेता थे। देश के विकास और प्रगति में उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया था। वह हमेशा देश के युवाओं को आगे बढ़ाने और उनके हितों से संबंधित फैसला लिया करते थे। राजीव गांधी वह महान शख्सियत थे, जिन्होंने 21वीं सदी के आधुनिक भारत के विकास और नव-निर्माण का सपना दिखाया और अंत में उसे पूरा भी किया था।

    लेकिन वो कहते हैं ना,  होनी को कोई नहीं टाल सकता۔۔ भगवान की मर्जी ही कुछ और थी शायद  इसी कारण उन्होंने राजीव गांधी को इतनी जल्दी स्वर्ग बुला लिया। हालांकि उनका यूं इस तरह दुनिया से चले जाना कहीं ना कहीं भारत के विकास और प्रगति में बुरा असर हुआ है।

    राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले की जीवनी (Early Life Of Rajiv Gandhi)

    गांधी और नेहरू खानदान से ताल्लुक (संबंध) रखने वाले राजीव गांधी देश के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 में बंबई प्रेसिडेंसी, मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनकी माँ का नाम श्रीमती इंदिरा गांधी तथा पिता जी का नाम फिरोज़ गांधी था। 

    राजीव गांधी का जन्म एक राजनैतिक परिवार में हुआ था। जहां इनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी देश की सर्वप्रथम महिला प्रधानमंत्री थी और उनके पिताजी फिरोज गांधी नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के संपादक और इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख थे। उनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी के दो संतान थे। जिनमे राजीव गांधी उनके सबसे बड़े पुत्र तथा संजीव गांधी उनके सबसे छोटे पुत्र थे।

    जब राजीव गांधी छोटे थे, तो उनका बचपन उनके दादाजी के घर में बीता जहां उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की परिचारिका के रूप में कार्य किया।

    इनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के शिव निकेतन स्कूल तथा देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल से हुई जहां इनकी पढ़ाई बीच में ही छुड़वा कर हिमालय की तलहटी मे स्थित दून स्कूल में दाखिला करवा दिया गया, ताकि यह अपने छोटे भाई संजय गांधी के साथ एक ही स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर सकें। 

    राजीव गांधी आगे की पढ़ाई के लिए लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में गए जहां उन्होंने कुछ ही समय में अपना कॉलेज बदल लिया और लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के इंपीरियल कॉलेज में दाखिला लिया। जहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की परंतु वहां भी उन्होंने अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल नहीं की।

    राजीव गांधी को वायुयान उड़ाने का बहुत शौक था। इसलिए 1956 में वह भारत वापस आकर दिल्ली के फ्लाइंग क्लब भी दाखिला लिया और वहां करीब 4 साल तक प्रशिक्षण लिया तथा 1970 में उनको एयर इंडिया द्वारा एक पायलट के रूप में भर्ती कर लिया गया।  वे राजनीति में नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपना करियर एक पायलट के रूप में चुना।

    कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात एक युवती से हुई जिसका नाम था  एंटोनियो माइनो जो की इटली की रहने वाली थी।  जिसे राजीव गांधी बहुत पसंद किया करते थ।  3 साल के लंबे अफेयर के बाद आखिरकार 1968 में राजीव गांधी और एंटोनियो का विवाह हो गया। विवाह के बाद इनकी पत्नी ने अपना नाम बदलकर सोनिया गांधी रख लिया और वह राजीव गांधी के साथ भारत में ही रहने लगी। वर्तमान में सोनिया गांधी भारतीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष के रूप में कार्यत है। 

    राजीव गांधी और सोनिया गांधी के दो संतान हुए जिनमें उनकी पहली संतान राहुल गांधी है। जिनका जन्म 1970 में हुआ।  वर्तमान में राहुल गांधी भारतीय  कांग्रेस पार्टी  में सांसद के रूप में कार्य कर रहे हैं तथा दूसरी संतान उनकी पुत्री प्रियंका गांधी है, जिनका जन्म 1972 में हुआ ।

    राजीव गाँधी कौन थे ? (Who is Rajiv Gandhi)

    हालांकि राजीव गांधी एक राजनीतिक परिवार से संबंध रखते थे परंतु फिर भी उन्हें राजनीति का बिल्कुल शौक नहीं था। उनके जानने वालों के मुताबिक उनके पास दर्शन शास्त्र तथा इतिहास की पुस्तके नहीं होती थी बल्कि उनके पास इंजीनियरिंग तथा विज्ञान की पुस्तके हुआ करती थी।

    इन्हें संगीत का बहुत शौक हुआ करता था। वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय तथा आधुनिक संगीत और पश्चिमी संगीत सुनना पसंद करते थे। वह अक्सर वीडियो और फोटोग्राफी सुना करते थे। राजीव गांधी को पायलट बनना यानी हवाई जहाज उड़ाने का जुनून सवार था और इसी वजह से उन्होंने 4 साल दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में प्रशिक्षण लिया जिसके बाद उन्हें एयर इंडिया द्वारा एक पायलट के रूप में भर्ती कर लिया गया।

    राजीव गांधी बचपन से ही बहुत शर्मीले स्वभाव के थे। उन्हें किसी भी नए व्यक्ति से मिलने में संकोच महसूस होता था। उनके बचपन का एक वाक्य बहुत मशहूर है, कहते हैं जब वह स्कूल में पढ़ा करते थे तब पहली बार उनसे मिलने उनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरु गए तब से डरकर बाथरूम की बास्केट में छिप गए थे। कहा जाता है कि राजीव गांधी को बॉडीगार्ड का घेराव बिल्कुल पसंद नहीं था वह अक्सर अपनी गाड़ी खुद चलाया करते थे।

    राजीव गांधी के प्राइम मिनिस्टर बनने तक का सफर ( How did he become Prime Minister?)

    राजीव गांधी को राजनीति में शामिल होने के लिए कोई दबाव नहीं था। इसलिए वे लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण लेने लगे, उस समय तक उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बन चुकी थी और उनके छोटे भाई संजीव कुमार भी भारतीय कांग्रेस पार्टी के ऊंचे और महत्वपूर्ण पद पर कार्यत थे अचानक से एसी विषम परिस्थिति आ गयी को उन्हे राजनीति में शामिल होना पड़ा। 

    दरअसल, राजीव गांधी के छोटे भाई संजीव गांधी का विमान हादसे में 23 जून 1980 में मौत हो गई थी। संजय गांधी की मौत खुद में ही एक सवालिया निशान बन कर रह गया हैं। संजय गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने राजीव गांधी को पार्टी में शामिल होने के लिए अनुरोध करने लगे परंतु राजीव गांधी राजनीति में आना ही नहीं चाहते थे। लेकिन उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी के अनुरोध करने के कारण राजीव गांधी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का फैसला कर लिया और कुछ ही समय बाद इन्होंने कांग्रेस पार्टी में एक अलग ही पहचान बना लि और बहुत जल्द वे इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी बन गए तथा धीरे-धीरे राजीव गांधी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बन गए। जिसके बाद उन्हें कांग्रेस के युवा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।

    राजीव गांधी के जीवन में दूसरा सबसे बड़ा झटका उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी के मौत की खबर सुनकर लगा। जिसके बाद राजीव गांधी की जिंदगी ही बदल गई।

    इंदिरा गांधी के सिख बॉडीगार्ड (अंगरक्षक) सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 की सुबह जब श्रीमती इंदिरा गांधी सैर कर रही थी, तभी उसी दौरान उन दोनों अंगरक्षको ने उन पर गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी। उनकी हत्या की खबर सुनकर पूरे देश में दुखद का माहौल फैल गया और ऐसी दर्दनाक खबर सुनते ही पूरे देश में दंगे शुरू हो गए।

    ऐसे समय में कांग्रेस पार्टी को दिशा दिखाने के लिए एक सच्चे और नितिवान नेता की आवश्यकता थी। इसलिए पार्टी के वरिष्ठ नेता ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियां सौंपी।  जिसके बाद 1985 के लोकसभा चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल करने के बाद देश के युवा प्रधानमंत्री के रूप में देश का कार्यभार संभाला।

    भारत में सूचना क्रांति के पीता माने जाने वाले राजीव गांधी को देश के कंप्यूटर और टेलीकॉम का सम्पुर्ण श्रेय दिया जाता है। वे स्थानीय स्थानीय महिलाओं को 33% रिजर्वेशन देने की घोषणा की तथा मतदान करने वाले युवाओं की उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष तक कर दी। उनकी इस नीति के बाद किसी भी चुनाव में 18 वर्ष के युवाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ।

    राजीव गांधी की उपलब्धियां (Rajiv Gandhi’s Achievements)

    • राजीव गांधी,  देश में कंप्यूटर क्रांति लेकर आए। उनका, मानना था कि विज्ञान और तकनीकों की सहायता से देश के उद्योगों का विकास हो सकता है। राजीव गांधी ने कंप्यूटर को भारत के हर घरों में पहुंचाने में काफी महत्वपूर्ण योगदान किया है और इन्होंने ही इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी को भारत में ऊंचाइयों पर पहुंचाने में योगदान दिया है
    • वह राजीव गांधी ही थे जिन्होंने भारत में पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखी थी। उनका मानना था कि जब तक भारत में पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगा, तब तक नीचे स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच पाएगा।  उनकी हत्या के ठीक 1 साल बाद साल 1922 में संविधान 73 वें और 74 वे के जरिए पंचायती राज व्यवस्था का उदय हुआ।
    • राजीव गांधी ने एमपीई (NPE)  की घोषणा की थी। साल 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की जिसके तहत पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था का विस्तार हुआ।
    • जिस तरह कंप्यूटर क्रांति का सारा श्रेय राजीव गांधी को जाता है, उसी प्रकार दूरसंचार क्रांति का श्रेय भी राजीव गांधी की झोली में ही जाएगा। उन्होंने 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सीडॉट की स्थापना की इसकी सहायता से शहरों और गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछाना शुरू कर दिया गया और जगह-जगह पीसीओ की व्यवस्था की गई।

    राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान कई बड़े निर्णय लिए थे। (Rajiv Gandhi’s Contribution for India)

    • तकनीकी उद्योगों पर लगे कर को कम किया, रक्षा, वाणिज्य, दूरसंचार और एयरलाइन से संबंधित नीतियों में सुधार किए गए। इन्होंने लाइसेंस और कोटा राज को खत्म किया राजीव गांधी प्राय: विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति पर अधिक ध्यान देने की बात करते थे।
    • इन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ अपने देश के आर्थिक संबंधों को मजबूत किया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा में अहिंसा और गांधीवाद पर बल दिया तथा दुनिया में शांति और भाईचारे की भावना को फैलाने का प्रयास किया।
    • इन्होंने भारत के पड़ोसी देशों को सहायता देने की कोशिश की और उनके साथ आपसी रिश्ते को बरकरार रखने का प्रयास किया तथा पड़ोसी देशों में हो रही समस्याओं को सुलझाने के लिए आगे भी आए। जब श्रीलंका में गृह युद्ध हो रहा था तब राजीव गांधी ने वहां के नागरिकों की रक्षा के लिए भारत से शांति संरक्षक बल को भेजा ताकि पड़ोसी देशों के साथ हमारे संबंधों में सुधार हो सके।
    • इन्होंने पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एलान किया। यह प्राया उच्च शिक्षा पर जोर देने की बात करते थे तथा इन्होंने देश के लोगों को शिक्षा के महत्व से रूबरू करवाया।
    • इन्होंने कई मेट्रो शहरों में टेलीफोन निगम लिमिटेड की शुरुआत की, जिससे एमटीएनएल के नाम से जाना जाता है और इन्होंने भारतीय राष्ट्र कांग्रेस से भ्रष्ट लोगों को निकाला तथा भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़े कदम उठाए।
    • कश्मीर और पंजाब में हो रहे आंतरिक लड़ाईयों को काबू में करने के लिए राजीव गांधी ने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की थी।
    • राजीव गांधी प्राय: युवाओं के हितों के लिए काम किया करते थे। उनका मानना था कि यदि युवा जागरुक रहेंगे तभी हमारा देश विकास कर पाएगा। इन्हीं युवाओं को रोजगार देने के लिए राजीव गांधी रोजगार योजना की शुरुआत की गई थी।

    राजीव गांधी के बारे में आरोप और आलोचना (Allegations and criticism about Rajiv Gandhi)

    • जब वर्ष 1985 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आया फैसला शाहबानो के पक्ष में था, तो भारत के मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले के खिलाफ जाते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत विरोध प्रदर्शन किया। तभी राजीव गांधी ने प्रदर्शनकारी मुसलमानों की मांगे मान ली। तभी राजीव गांधी ने अधिनियम 1986 पारित कर दिया जो कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का पूरा सम्मान करता था।
    • राजीव गांधी के ऊपर लगे कुछ आरोप है कि, उनके परिवार के सबसे नजदीकी बताए जाने वाले शख्स इतालवी कारोबारी ने इस मामले में बिचौलिए वाली भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली करने की रकम का बहुत बड़ा हिस्सा मिला। करीब 400 बो- फोर्स तोपों की खरीदारी का सौदा 1.3 अरब डॉलर का था। आरोप लगा है कि स्वीडन कि हथियार कंपनी बो- फोर्स में भारत के साथ सौदेबाजी के लिए 1.2 करोड़ के रिश्वत का बड़ा हिस्सा इनलोगो ने आपस में बांट लिया था। 
    • बहुत दिनों तक राजीव गांधी भी अभियुक्तों की सूची में शामिल थे, लेकिन जब उनकी मृत्यु हुई तो उनके नाम को अभियुक्तों की सूची वाली फाइल से हटा दिया गया था। सीबीआई को इन सभी मामलों की जांच सौंपी गई थी परंतु सरकार बदलने पर सीबीआई की जांच की भी दिशा में लगातार बदलाव होती रही।  
    • हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कई सारे विवादों से गिरे रहते थे। राजीव गांधी की मां की हत्या नवंबर 1984 में हुई थी। उनकी मां की हत्या के पश्चात सिखों विरोधी दंगे हुए जब इस पूरे मामले के बारे में सवाल जवाब हुआ। तब राजीव गांधी ने अपनी एक बयान में कहा कि जब एक विशालकाय पेड़ गिरता है, तो धरती तो हिलती ही है।  उनके इस बयान के बाद दंगों को औचित्य रूप में देखा गया था, जो कि कांग्रेस के नेताओं द्वारा किए गए थे। राजीव गांधी द्वारा दिए गए इस बयान की काफी बड़ी मात्रा में आलोचना भी हुई थी।
    • राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने का  शपथ ग्रहण करने क बाद राजीव गांधी ने एक कैबिनेट नियुक्त किया। जिसमे 14 सदस्य थे, कैबिनेट नियुक्ति के पीछे उन्होंने यह कारण दिया कि वह सभी की निगरानी करेंगे एवं जो भी अपने कार्य में अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगा, उसे पद से हटा दिया जाएगा। प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ने अपने मंत्रिमंडल में कई सारे फेरबदल किए थे। इससे लोगों में आलोचना एवं भ्रम पैदा हुआ की, आखिर राजीव प्रधानमंत्री का पद बखूबी संभाल पा रहे है या नहीं। उनके द्वारा किए गए इस फेरबदल को मीडिया वालों ने  ‘व्हील ऑफ कन्फ्यूजन’ करार दिया।
    • इस अधिनियम के पारित होने पर भारत के कई लोग खुश नहीं थे। इस कानून के पारित होने से पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी ने अल्पकालिक अल्पसंख्यकवाद के लिए अश्लीलता करार दिया।
    • वीपी सिंह ने वर्ष 1987, 4 अप्रैल को एक खुलासा किया कि, कांग्रेस पार्टी में कितना भ्रष्टाचार फैला है। उन्होंने बताया कि स्वीडिश हथियार कंपनी बोफोर्स के द्वारा दिए गए भुगतान में कई लाख अमेरिकी डॉलर शामिल थे। यह सभी भुगतान इतालवी के व्यापारियों एवं गांधी परिवार के सबसे खास सहयोगी ओतवीयो क्वात्रोची के द्वारा भारतीय सेना के हथियारों के अनुबंधन के एवज में प्राप्त किया गया था। इस बड़े घोटाले के बारे में बताए जाने के बाद राजीव गांधी की छवि धूमिल होती नजर आए। इसका बुरा असर उनके 1989 के चुनाव पर पड़ा वे आम चुनाव हार चुके थे।
    •  वर्ष 1991, 5 नवंबर के दिन आए एक स्विस पत्रिका सीजर इलस्ट्रेटर द्वारा यह दावा किया गया कि राजीव गांधी ने अपने स्विट्जरलैंड वाले खाते में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक जमा रखे हैं। इस खाते के बारे में किसी को भी कुछ भी जानकारी नहीं थी। इसलिए इसे गुप्त खाता भी कह सकते हैं। विपक्ष पार्टी के लोगों ने इस मुद्दे को पकड़कर खूब हंगामा किया और यह मांग किया कि इसकी निष्पक्ष जांच की जाए। कई नेताओं ने इसे काफी शर्मनाक बताया।

    प्रमुख तिथियां (Important Dates)

    • वर्ष 1981 में राजीव गांधी को भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
    • 16 फरवरी 1981 को राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा। 
    • 25 फरवरी 1968 को राजीव गांधी ने इटली की रहने वाली एंटोनियो माईनो से विवाह किया। जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी का नाम बदलकर सोनिया गांधी रख दिया।
    • 1966 में राजीव गांधी लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी कर वापस भारत लौटे। उस समय तक उनकी मां श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बन चुकी थी।
    •  1970 में राजीव गांधी को एयर इंडिया द्वारा एक पायलट के पद पर भर्ती किया गया।
    • 30 जून 1980 में राजीव गांधी के छोटे भाई संजीव गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई।
    • साल 1991 में राजीव गांधी को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया।

    राजीव गाँधी की मृत्यु (Death of Rajiv Gandhi)

    आज अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के कहे वह बोल खूब याद आते हैं, जो उन्होंने अपनी हुई हत्या से कुछ ही समय पहले कहा था।  उन्होंने कहा था कि, 

    यदि  कोई मुझे मारना चाहता है तो, इसमें कोई भी बड़ी बात नहीं है। बस यह शर्त है कि, मारने वाला हत्यारा यह तय कर ले कि मुझे मारने के पश्चात ही वो  अपना जीवन देने के लिए तैयार हो।यदि ऐसा हो जाता है तो पूरी दुनिया की कोई ताकत नहीं, जो मुझे बचा सके।

    वर्ष 1991, 21 मई का दीन रात के 10 बजे,  तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुई यह दिलों को दहला देने वाली घटना आज भी लोगों को मुंह जवानी याद है। यह घटना काफी दुख भरा था, इस घटना ने भारत के लोगों के दिलों को दहला कर रख दिया था।

    30 वर्ष की एक छोटे कद की काली और कटीली लड़की अपने हाथों में हार लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ओर बढ़ी  वह लड़की प्रधानमंत्री के पैरों को छूने के लिए झुकी ही थी कि  एक जोरदार धमाका हुआ। जब यह जोरदार धमाका हुआ, उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सम्मान के लिए लोगों द्वारा एक गीत गाया जा रहा। 

    धमाके के पश्चात, जब धुआं छटा तो राजीव गांधी की खोज भी शुरू हुई,  राजीव गांधी के शरीर का एक हिस्सा मुंह के बल पड़ा हुआ था तथा उनका सर फट चुका था और उसमें से उनका दिमाग यानी मगज बाहर निकल कर उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता के पैरों के पास गिरा हुआ था। उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता उस समय अपनी अंतिम सांसे गिन रहे थे।

    खौफनाक घटना वाले केस की जांच के लिए सीआरपीएफ के आईजी डॉक्टर डीआर कार्तिकेय के द्वारा नेतृत्व में एक खास विषय जांच दल का गठन किया। इस घटना के कुछ ही महीनों पश्चात एलटीटीई की 7 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया।  इस घटना के मुख्य अभियुक्त शिवरासन एवं उनके साथियों ने सायनाइड खाकर आत्महत्या कर ली। सीआरपीएफ के आईजी डॉ कार्तिकेयन कहते हैं कि, हमने तुरंत ही छापे मारने शुरू कर दिए एवं बहुत जल्द ही सफलता भी मिलनी शुरू हो गई।

    दिन के 24 घंटे हफ्तों के सातों दिन बिना किसी विश्राम लिए  सभी लगे रहे जल्द ही सारी जांच 3 महीनों में ही पूरी कर ली गई परंतु फॉरेंसिक द्वारा आए रिपोर्ट मे थोड़ा समय लग गया। हमने अदालत में पहले से ही चार्ज शीट को दाखिल कर दिया था।

    इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव पीसी एलेग्जेंडर द्वारा लिखी अपनी एक पुस्तक,  ‘माय डेज विथ इंदिरा गांधी’ में उन्होंने यह लिखा है, कि इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ घंटों के ही अंदर मैं उन्हे ऑल इंडियन इंस्टिट्यूट के गलियारे में सोनिया एवं राजीव को आपस में लड़ाई करते हुए देखा था। राजीव गांधी, सोनिया गांधी को यह बताना चाह रहे थे कि उनकी पार्टी यह चाहती है कि मैं प्रधानमंत्री के पद  के लिए शपथ ग्रहण कर लू परंतु इसके विपरीत सोनिया गांधी ने शपथ लेने से हरगिज़ मना कर दिया  सोनिया गांधी राजीव गांधी को समझाने की कोशिश कर रही थी कि वे सभी तुम्हें भी मार डालेंगे राजीव गांधी का कहना था कि उनके पास शपथ ग्रहण करने के सिवाय और कोई चारा नहीं है उनका कहना था कि, मैं तो वैसे भी मारा ही जाऊंगा राजीव गांधी के यह कहने के 7 वर्ष पश्चात उनकी यह कथनी सच साबित हो गई।