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Essay on Corruption in hindi | Bhrashtachar Par Nibandh | भ्रष्टाचार पर निबंध

Bhrashtachar Par Nibandh

Essay on Corruption in Hindi | Bhrashtachar Par Nibandh | भ्रष्टाचार पर निबंध

Essay on Corruption in hindi : भारत में सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है आज आम आदमी भ्रष्टाचार के कारण बहुत परेशान है आज से किसी भी काम को कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है कोई समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था और यहां पर किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ करता था। आदेश के लगभग सभी व्यवसायों में भ्रष्टाचारी कालाबाजारी जानबूझकर दाम बढ़ाना गलत तरीके से पैसा कमाना सस्ता सामान लाकर देंगे में भेजना आज  बहुत से भ्रष्टाचार काम होते हैं। आज आम आदमी का जीवन जीना बड़ा मुश्किल हो गया आज सरकारी दफ्तरों में जाने से पहले एक बार सोचता है कि उसे अपने काम कराने के लिए सदैव पड़ेगी एक गरीब आदमी मरता है जा रहा है इस भ्रष्टाचारी के कारण।

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Table of Contents

भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh) – Essay on corruption In Hindi (400 Words)

भ्रष्टाचार का मतलब है रिश्वत लेना दादागिरी ब्लैक मनी टैक्स चोरी झूठी गवाही झूठा मुकदमा हफ्ता वसूली फैसला किसी और के पक्ष में करना पैसा लेकर वह डालना शराब आदि पहुंचना गलत रिपोर्ट कार्ड बनाना यह सभी पैसा लेकर करवाए जाते हैं जो भ्रष्टाचार कहलाता है।

स्वार्थ और समानता

आजकल के लोगों में स्वार्थ की भावना और लोगों के प्रत्याशी मानता के कारण भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है यह भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण हैं। आज सरकारी नौकरियों में अपने ही परिवार के लोगों को लगाना भ्रष्टाचार है। आज लोग अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का गला घुटने के लिए तैयार हो जाता है किसी भी काम को करवाने के लिए पैसा दे देते हैं जिससे गरीब बहुत परेशान होता है उसे अपना काम करवाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है।

भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचारी बीमारी की तरह बढ़ता ही जा रहा है आज भारत में भ्रष्टाचार ने तेजी से बढ़ रहा है कि आज हर कोई कर्मचारी भ्रष्टाचार की चपेट में है एक गवर्नमेंट कर्मचारी भी बिना रिश्वत के काम नहीं करता आज व्यक्ति को किसी ने किसी काम करवाने के लिए छोटीछोटी फाइल लगवाने के लिए उसे भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। भारत में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ता जा रहा है कि मानव जैसे कोई बीमारी फैल रही हो आज कानून भी रिश्वत के मामले में पकड़ा जा रहा है।

भ्रष्टाचार रोकने का उपाय

  • देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए देश में कठिन से कठिन था कानून बनाना चाहिए जिसमें भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्त होने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए।
  • लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • रिश्वत लेते समय रिश्वत लेने वाले को कानूनी तौर पर कठोर से कठोर सजा देकर नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए।

भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh) – Essay on corruption In Hindi (600 Words)

भ्रष्टाचार किसी भी देश के लिए एक दीमक के समान है जो देश को अंदर ही अंदर खोखला बना देता है। आज दुनियाँ में शायद ही कोई ऐसा देश है जो भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्त हो।

भ्रष्टाचार के कारण देश बहुमूल्य संपत्ति नष्ट होती है, जो किसी विकासकार्य में लगाई जा सकती थी। इस बात में जरा भी संदेह नही है कि बड़े बड़े भ्रष्टाचार देश के सबसे शक्तिशाली लोग करते है, लेकिन यह बात भी सच कि निचले स्तर के आमलोग भी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं।

भ्रष्टाचार क्या है? (Essay on corruption in hindi)

जब कोई व्यक्ति धन और संपत्ति के लालच में अनीतिपूर्ण काम करता है, जिसकी इजाजत न तो देश का संविधान देता है और न ही समाज देता है। ऐसे काम भ्रष्टाचार कहलाते हैं।भ्रष्टाचार मुख्य रूप से पैसो की लालच में किया जाता है।

भ्रष्टाचार के मुख्य कारण.

भ्रष्टाचार के पीछे मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:-

देश की कमजोर कानून व्यवस्था.

भ्रष्टाचार का मुख्य कारण देश का लचीला कानून है, जहाँ किसी के द्वारा भ्रष्टाचार किये जाने पर आरोप साबित होने में ही कई वर्ष गुजर जाते हैं।

इसके साथ ही पैसे देकर लोग केस को ही खत्म करवा देते हैं, जिससे कि भ्रष्टाचार करने वाले लोग हमेशा बच जाते हैं।

लालची स्वभाव.

कुछ लोग कहते हैं कि गरीबी भ्रष्टाचार की वजह है, पर यह सच नही है क्योंकि हमने कई गरीब परिवार देखे हैं जो अपनी मेहनत से पैसा कमाकर पेट भरते हैं। असल मे यह स्वभाव के कारण होते हैं, क्योंकि जो लालची स्वभाव के होते हैं, वो करोड़ो की संपत्ति होने के बाद भी भ्रष्टाचार करते हैं।

आदत से मजबूर

कुछ भ्रष्टाचारियों को यह एहसास ही नही होता कि वह कुछ गलत कर रहे हैं क्योंकि भ्रष्टाचार करना उनकी आदत बन चुकी है। वो ऐसी संगति मव रहते हैं जहाँ यह सोच होती है कि भ्रष्टाचार करने में कोई बुराई नही है।

भ्रष्टाचार के प्रकार.

भ्रष्टाचार कई प्रकार के होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं:-

रिश्वत लेना.

यह अधिकतर सरकारी कार्यालयों में देखने को मिलता है जहां एक काम करवाने के लिए छोटे से बड़े अधिकारी तक को रिश्वत देनी पड़ सकती है, जबकि उन्हें इसी काम के लिए सरकार वेतन देती है।

सगे संबंधियों को फायदा दिलाना.

कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी बड़े पद पर आसीन होते हैं लेकिन उस पद की ताकत का दुरूपयोग करते हैं और अपने परिवार के लोगों, सगे-संबंधियों को ऐसी चीजों का लाभ दिलवाते हैं, जिसके काबिल वो नही है।

टैक्स चोरी.

संविधान में यह लिखा है कि एक निश्चित सीमा के ज्यादा आय होने पर उस व्यक्ति को टैक्स देना पड़ेगा, लेकिन कुछ लोग अपनी आय कम दिखाकर टैक्स नही देते है, जो कि भ्रष्टाचार का ही एक रूप है।

भ्रष्टाचार रोकने के उपाय.

आज भ्रष्टाचार की जड़े भले ही कितनी भी गहरी हो चुकी है लेकिन कुछ उपायों के जरिए इसे रोका जा सकता है.

नियत समय मे सुनवाई हो.

भ्रष्टाचार के केस का फैसला आने का समय नियत होना चाहिये। केस को ज्यादा नही खींचना चाहिए और सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में होना चाहिए।

एक अलग संस्था हो.

भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक अलग इकाई होनी चाहिए जो पुलिस से अलग हो। इसका काम सिर्फ भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ हो।

कड़ा कानून बने.

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़े कानून की जरूरत है ताकि कोई भी भ्रष्टाचार करने से पहले एक बार जरूर सोचे।

लोगों को जागरूक करके.

लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूक करना बहुत जरूरी है। सभी कामों में पारदर्शिता होनी चाहिए।

उपसंहार

हमें आज जरूरत है एक ऐसे समाज की जो देश हित का ख्याल रखें। इसके लिए जरूरी है कि वो नैतिक रूप से मजबूत हो। भ्रष्टाचार नैतिक पतन का भी एक इशारा है, इसलिए लोगों को नैतिक रूप से मजबूत बनाने की बहुत ज्यादा जरूरत है।

भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh)– Essay on corruption In Hindi (800 Words)

अब सिर्फ एक समस्या नही आम आदमी के गले की हड्डी बन चुका है भ्रष्टाचार,कुछ असमाजिक गैरजिम्मेदार लोग और अशिक्षित लोग जो अपने फायदे के लिए किसी भी तरीके से लोगो को नुकसान पहुचा रहे है उन्हें इससे फर्क नही पड़ता कि किसी को कोई परेशानी हो या न हो,यहां पर प्रयुक्त अशिक्षा शव्द सिर्फ किताबी शिक्षा से संबंधित नही है बल्कि सामाजिक ज्ञान और ईमानदारी से जीने की शिक्षा शायद जिसकी बेहद कमी हो गई है आजकल की दुनिया मे,अगर शाब्दिक अर्थ निकाले भ्रस्टाचार का तो वो है भ्रस्ट आचरण।

यहां कोई भी कानून नही मानना चाहता उसे सिर्फ अपना काम निकलना हो चाहे वो कानूनी तरीके से हो या गैरकानूनी,यहां पर दोष सिर्फ व्यस्थाओ का नही है बल्कि दोष उन लोगो का ज्यादा है जो ऐसे तरीको से अपना काम निकलवाते है क्योंकि बढाबा तो आप लोग ही दे रहे है।

भ्रष्टाचार के तत्व-

भ्रष्टाचार के अंतर्गत के तत्व आते है जैसे कि-परिवारबाद,रिश्वतखोरी,राजनीति, आदि।

परिवारबाद – ये एक बजह है भ्रष्टाचार की जहाँ ऊंचे पदों पर बैठे लोग किसी भी छेत्र में टैलेंट या शिक्षा को महत्व न देकर परिवारबाद या जातिबाद को बढ़ावा देते है,जिससे गैरजिम्मेदार लोग गलत औंधे पर पहुच कर गलत फायदा उठा लेते है।

रिश्वतखोरी – कम समय मे ज्यादा पैसो की चाह हमसे जाने क्या करवा सकती है जिसकी बजह से अपने पदों का गलत इस्तेमाल कर लोग इसे पैसे कमाने का एक जरिया बना रहे है।

राजनीति – किसी भी राजनैतिक सरंक्षण के बिना भी भ्रस्टाचारी शायद नही की जा सकती।इनडाइरेक्ट तरीके से ही लेकिन राजनीति का सम्बंध जरूर होता है किसी भी भ्रस्टाचार से ।

कहां है भ्रष्टाचार-

लगभग हर सरकारी कार्यालयों/संस्थानों , गैरसरकारी कार्यालयों/संस्थानो में चाहे वो किसी विभाग से सम्बंधित हो।

अब अगर हम RTO कार्यालय को ही देख ले तो खुलेआम लगभग हर कार्यालय में दलालों के जरिये ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहे है ज्यादा पैसा लेकर चाहे वो ड्राइविंग लाइसेंस के लायक हो या न हो किसी भी कानून से कोई मतलब नही,लोगो ने कानून को बस अपने हाथों का खिलबाड़ बनाकर रख दिया है।

क्या किसी कर्मचारी के बिना बताए ऐसा किया जा सकता है तो जबाब है बिल्कुल नही।

यहां कोई एक शामिल नही होता ऐसे भ्रष्टाचार के कामो में क्योंकि ऐसा होना मुमकिन ही नही,पूरी की पूरी चैन बनी है यहां ऊपर से नीचे तक सब भ्रष्टाचार के पात्र है चाहे वो डायरेक्ट हो या इनडाइरेक्ट।

कोई थोड़ा खाता है तो कोई ज्यादा अगर कोई चपरासी रिश्वत लेता है तो उसका कुछ हिस्सा उनके साहब को जाता है फिर साहब से थोड़ा हिस्सा बड़े साहब को जाता है और बड़े साहब से फिर नेता जी को।

भ्रष्टाचार का मुख्य कारण-

बैसे तो भ्रष्टाचार के अनगिनत कारण है लेकिन भ्रष्टाचार मुख्य कारण है पैसा और ताकत का लोभ,जो व्यक्ति को ये सब करने पर मजबूर करता है और ऐसा नही की भ्रष्टाचार सिर्फ सरकारी छेत्रो में ही है क्यूंकि गैरसरकारी संस्थान भी कुछ ज्यादा पीछे नही है हाँ बस इतना है कि सरकारी संस्थानों/कार्यालयों में ज्यादा कोई सबाल करने वाला नही है या यहां जो सबाल के करने के लायक है भही वो भी इन सबमे शामिल रहते है,एक लाइन मुझे याद आ रही है कि बिल्ली को दूध की रखबारी के लिए रखना जो बेहद सटीक है इस समस्या के लिए।

पैसे के लोभ को देखे तो ये लोग 10-20 रुपयों के लिए भी भ्रष्टाचार कर लेते है शायद इनको इन सब चीजो की आदत भी लग गई है ।

आज भी ये समस्या बढ़ती जा रही है तो आम लोगो की चुप्पी की बजह से क्योंकि कोई भी सबाल नही उठता किसी भी भ्रष्टाचारी से चाहे वो उसके परिवार का ही हो ,बल्कि वो गर्व से लोगो को बताते है कि उनके बेटे की,भाई की ऊपरी इनकम इतनी है,क्या कभी सोचा है कि क्या है ये ऊपरी इनकम और क्या ये इनकी मेहनत का पैसा है,जिसका जबाब है नही ये किसी और कि मेहनत का पैसा है जो कही न कही उसने अपने किसी काम को निकलवाने के लिए दिया होगा।

भारत के पिछड़ेपन में भ्रष्टाचार का योगदान-

ये कोई छोटी समस्या नही है जो आसानी से विना किसी प्रभाव के समाप्त हो जाती बल्कि इस समस्या का देश और देश की जनता पर जो असर होता है वो अपने आप मे बेहद डरावना है,कई देश जिनके पास हमारे जैसे कानून भी नही है वो भी बहुत तरक्की कर रहे है लेकिन हमारे देश के लोग जो अपने स्वमं के कानून को नही मानते जो सिर्फ उनकी ही साहूलियत के लिए बनाए गये है।

यहां खुद के फायदे से ज्यादा बड़ा कोई कानून नही बचा।

भ्रष्टाचार खत्म करने के उपाय-

चूंकि भ्रष्टाचार तो एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है तो इसे आसानी से खत्म करना बहुत मुश्किल है इसे खत्म करने के लिए एक बड़ी मुहिम और एक लंबे बक्त की आवश्यकता है,हमे स्वंम लड़ना होगा इस समस्या से हम ये कहकर खुद को अलग नही कर सकते कि मुझपर भ्रष्टाचार नही हूआ बल्कि किसी न किसी तरीके से आप स्वमं भ्रष्टाचार के पात्र है या तो आप खुद भ्रष्टाचार कर चुके होंगे या फिर आप शिकार हुए होंगे भ्रष्टाचार के,सबको इकट्ठा होकर लड़ना है चाहे वो लड़ाई आपके अपनो के ही खिलाफ क्यों न हो।